जैसे पदार्थ एवं उर्जा को अलग-अलग अविनाशी एवं मात्र रूप बदलने वाला माना गया था परन्तु ये सापेक्षता (रिलेटिविटी) के सिद्धांत द्वारा सम्बद्ध कर दिए गए, उसी प्रकार अचेतन एवं चेतन को भी वेद-ज्ञान सम्बद्ध कर देता है । अर्थात् चेतन को अचेतन और अचेतन को चेतन में परिवर्तित किया जा सकता है । यह वेदों के प्रयोग से संभव है । जैसे पदार्थ को उर्जा में बदलने के लिए एक परमाणु बम में क्रांतिक मात्रा में रेडियो-एक्टिव पदार्थ चाहिए, वैसे ही अचेतन को चेतन में बदलने के लिए जो संरचनाएं चाहिए ...
जिनमें ‘इन्द्र’ को ऋषि अपने यज्ञ स्थल पर आराधना के ऋचाओं के द्वारा बुलाता है और कहता है कि हे 'इन्द्र’ आप मेरे यज्ञ में पधारिये आपका स्वागत और अभिनन्दन है। आपके लिए ‘सोमरस' हिमालय से लाई हुई सोम वल्लरी को पत्थरो से कूँच कर, निचोड़कर सोमरस को छन्ने से छानकर दुग्ध और शर्करा मिलाकर, आपके लिए यज्ञशाला में रखा गया है। इसी सोमरस को पीकर आप ने वृत्रासुर को मारा था और उसके द्वारा सरिताओं को पर्वतों से अवरूद्ध हुआ मार्ग खोला था। आप हमारे यज्ञ में पधारिए, हमारा कल्याण कीजिए।
भौ...