This is a Hindi translation of M.K. Gandhi's autobiography by Kashinath Trivedi. This edition is created and maintained by Sanjayacharya (www.sanjayacharya.com)
प्रिटोरिया जाते हुए
... इस बीच एक यात्री आया। उसने मेरी तरफ देखा। मुझे भिन्न वर्ण का पाकर वह परेशान हुआ, बाहर निकला और एक-दो अफसरो को लेकर आया। किसी ने मुझे कुछ न कहा। आखिर एक अफसर आया। उसने कहा, 'इधर आओ। तुम्हें आखिरी डिब्बे में जाना हैं।'
मैने कहा, 'मेरे पास पहले दर्जे का टिकट हैं।'
उसने जबाव दिया, 'इसकी कोई बात नहीँ। मैं तुम्हें कहता हूँ कि तुम्हे आखिरी डिब्बे जाना हैं।'
'मैं कहता हूँ कि मुझे इस डिब्बें में डरबन से बैठाया गया हैं और इसी में जाने का इरादा रखता हू...