“यथार्थ गीता” के लेखक एक संत है जो शैक्षिक उपाधियों से सम्बद्ध न होने पर भी सद्गुरू कृपा के फलस्वरूप ईश्वरीय आदेशों से संचालित है | लेखन को आप साधना भजन में व्यवधान मानते रहे है किन्तु गीता के इस भाष्य में निर्देशन ही निमित बना | भगवान ने आपको अनुभव में बताया कि आपकी सारी वृतियाँ शान्त हो गयी है केवल छोटी – सी एक वृति शेष है – गीता लिखना | पहले तो स्वामीजी ने इस वृति को भजन से काटने का प्रयतन किया किन्तु भगवान के आदेश को मूर्त स्वरुप है, यथार्थ गीता | भाष्य मैं जहाँ भी त...
शास्त्र :
परमात्मा में प्रवेश दिलानेवाले क्रियात्मक अनुशासन के नियमों का संकलन ही शास्त्र | इस दृष्टि से भगवान श्रीकृष्णोक्त गीता सनातन, शाश्वत धर्म का शुद्ध शास्त्र है; जो चारों वेद, उपनिषद, समस्त योगशास्त्र, रामचरित मानस तथा विश्व के सभी दर्शनशास्त्रों का अकेले ही प्रतिनिधित्व करती है | गीता मानव मात्र के लिए धर्म का अतक्र्य शास्त्र है |
परमात्मा का निवास :
वह सर्वसमर्थ, सदा रहनेवाला परमात्मा मानव के हृदय में स्थित है | सम्पूर्ण भावों से उसकी शरण जाने का विधान है,...